पटना। भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) टीएन शेषन (TN Seshan) नहीं रहे। रविवार को चेन्नई में 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। ये शेषन ही थे, जिन्होंने लोकतंत्र (Democracy) में चुनाव आयोग (Election Commission) की ताकत का अहसास कराया था। 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 तक मुख्य चुनाव आयुक्त रहे शेषन ने चुनाव सुधार की शुरुआत बिहार (Bihar) से की थी। वे बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री (Chief Minister) लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की आंखों की ऐसी किरकिरी बन गए थे कि एक बार लालू ने उन्हें 'पगला सांड' (Mad Bull) कह दिया था। लालू अपने अंदाज में उनकी आलोचना करते हुए कहते थे कि वे ''शेषनवा (टीएन शेषन) को भैंसिया (भैंस) पर चढ़ाकर गंगाजी में हेला (बहा) देंगे।' टीएन शेषन ने अपने चुनाव सुधार अभियान की शुरुआत 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) से की थी। उस दौर में बिहार का चुनाव बूथ लूट (Booth loot) व हिंसा (Violence) के लिए बदनाम था। शेषन ने स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव (Free and fair Election) कराने पर फोकस किया। उन्होंने इसके लिए सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए। साथ ही, पहली बार कई चरणों में मतदान (Voting in phases) कराने का फैसला किया। 1995 के विधानसभा चुनाव में लालू बिहार में दूसरी बार सत्ता पाने के लिए प्रयास कर रहे थे। विपक्षी दलों ने लालू पर चुनाव में अधिकारियों से मिलकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, जिसे शेषन ने गंभरता से लिया। उन्होंने स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव का कब्रिस्तान माने जाने वाले बिहार में उदाहरण पेश करने की ठानी। राज्य में बड़े पैमाने पर अर्द्धसैनिक बलों (Para Military Forces) की तैनाती की गई। पहली बार कई चरणों में चुनाव कराए गए। शेषण ने विभिन्न कारणों से उस विधानसभा चुनाव की तिथियों में चार बार परिवर्तन किया। इससे लालू प्रसाद यादव उन्हें अपनी जीत कर राह का सबसे बड़ा रोड़ा मानने लगे। कहना नहीं होगा कि लालू अपने ठेठ अंदाज में शेषन के आलोचक बन गए। चुनाव के दौरान शेषन व लालू के बीच जो भी हुआ, उसकी कहानी पत्रकार संकर्षण ठाकुर (Sankarshan Thakur) ने अपनी किताब 'बंधु बिहारी' (The Brothers Bihari) में दी है। चुनाव के दौरान हर सुबह अपने आवास पर होने वाली अनौपचारिक बैठकों में लालू के गुस्से के केंद्र में शेषण ही होते थे। ऐसी ही एक बैठक में उन्होंने कहा था, ''शेषन पगला सांड (Mad Bull) जैसा कर रहा है। मालूम नहीं है कि हम रस्सा बांध के खटाल में बंद कर सकते हैं।'
जब शेषन को लालू ने कहा था 'पगला सांड'